सिन्धु घाटी सभ्यता
Sindhu ghati sabhyata in hindi । indus valley civilization in hindi
सिन्धु सभ्यता को प्राक्ऐतिहासिक (Protohistoric)अथवा कांस्य (Bronze) युगीन सभ्यता कहा जाता है | सिन्धु सभ्यता 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी गयी है। ( source - रेडियोकार्बन C14 विश्लेषण-पद्धति ) | इस सभ्यता (indus valley civilization) के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्य सागरीय थे।
सिन्धु सभ्यता ( Sindhu ghati sabhyata in hindi) की खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने सर जॉन मार्शल के नेतर्तव में की।
सिन्धु सभ्यता(Sindhu ghati sabhyata in hindi) के पूर्वी पुरास्थल हिण्डन नदी के किनारे आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश), पश्चिमी पुरास्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान), उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर माँदा (जम्मू-कश्मीर) तथा दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद ( अहमदनगर, महाराष्ट्र) है ।
नगरों का उच्च भाग ' नगर दुर्ग ' एवं निम्न भाग ' निचला नगर ' कहलाया |
सिन्धु सभ्यता के प्रमुख स्थल एंव विवरण
प्रमुख स्थल | उत्खननकर्ता | नदी | वर्ष | स्थिति |
---|---|---|---|---|
हड़प्पा | दयाराम साहनी | रावी | 1921 | मोंट्गोमेरी (पकिस्तान) |
मोहनजोदरो | राखल दास बनर्जी | सिन्धु | 1922 | लरकाना (पकिस्तान) |
चन्हुदड़ो | एन. जी मजूमदार | सिन्धु | 1931 | सिन्ध (पकिस्तान) |
कोटदीजी | फजल अहमद | सिन्धु | 1953 | खैरपूर (पकिस्तान) |
कालीबंगा | बी बी लाल एवं बी के थापर | घग्गर | 1953 | हनुमानगढ़ (राजस्थान) |
रंगपूर | रंगनाथ राव | मादर | 1953 - 54 | काठियावाड़ (गुजरात) |
रोपड़ | यज्ञदत्त शर्मा | सतलज | 1953 - 56 | रोपड़ (पंजाब) |
लोथल | रंगनाथ राव | भोगवा | 1957 - 58 | अहमदाबाद (गुजरात) |
आलमगीरपुर | यज्ञदत्त शर्मा | हिंडन | 1958 | मेरठ (उत्तरप्रदेश) |
बनावली | रविन्द्र सिंह बिष्ट | रंगोई | 1974 | हिसार (हरियाणा) |
सिन्धु सभ्यता (Sindhu ghati sabhyata in hindi) से सम्बंधित भारत में महत्वपूर्ण स्थल- लोथल, कालीबंगा, बनावली, रोपड़।
सिन्धु सभ्यता के प्रमुख स्थल एंव प्राप्त साक्ष्य
मोहनजोदरो
हड़प्पा
लोथल
कालीबंगा
चन्हुंदड़ो
रंगपुर
कोटदीजी
रोपड़
बनावली
व्यापार व्यव्स्था
आयातित वस्तुएँ | स्थल |
---|---|
सोना | कर्नाटक, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान |
चाँदी | अफ़ग़ानिस्तान, ईरान |
टिन | अफ़ग़ानिस्तान, ईरान |
ताँबा | खेतडी ( राजस्थान ), बलूचिस्तान, ओमान |
गोमेद | सौराष्ट्र |
लाजवर्त मणि | मेसोपोटामिया |
सीसा | ईरान |
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- लोथल एकमात्र जगह है जहां रहने वाले लोगो के घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ सड़क की ओर ना खुल कर पीछे की ओर खुलती है।
- कालीबंगा एकमात्र जगह है जिसका निचला नगर भी किले से घिरा था जबकी बाकीयो के सिर्फ नगर दुर्ग ( नगरो का उच्च भाग) ही किले से घिरा था ।
- सिन्धु घाटी के नगरों में किसी भी मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं लेकिन कुबड़वाला सांड एवं मातृदेवी विशेष पूजनीय थी एवं वृक्ष-पूजा एवं शिव-पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिन्धु सभ्यता से मिलते हैं।
- सिन्धु सभय्ता की मुख्य फसल - गेंहू एवं जौ।
- मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा राखीगढ़ी एवं कालीबंगन को बड़े नगर की संज्ञा दी गयी है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार संभवतः सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त वृहत् स्नानागार 11.88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौडा एवं 240 मीटर गहरा है।
- सिन्धु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है। यह लिपि दायीं से बायीं ओर लिखी जाती थी।
- सिन्धु सभ्यता के लोगों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई।
- कपास की ज्यादा खेती के कारण यूनानियों ने इसे सिण्डॉन कहा है।
- सैंधव वासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे।
- सुरकोतदा, कालीबंगन एवं लोथल से सैंधवकालीन घोडे के अस्थिपंजर मिले हैं।
- तौल की इकाई 16 के अनुपात में थी।
- सिन्धु सभ्यता का समाज मातृसत्तात्मक था तथा चार वर्गो में बंटा था - विद्वान, योद्धा, व्यापारी और शिल्पकार।
- मेसोपोटामिया के अभिलेखों में वर्णित मेलूहा शब्द का अभिप्राय सिन्धु सभ्यता से ही है।
- पिग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक साम्राज्य की जुड़वाँ राजधानी कहा है।
- सैंधववासी सूती एवं ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
- मछली पकड़ना, शिकार करना, पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना, चौपड़ और पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग मनोरंजन के लिए करते थे।
- सिन्धु सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाइन किये हुए लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे।
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